Bhumi Pednekar Instagram – भक्षक की आख़िरी में @bhumipednekar द्वारा कहा गया संवाद, महज़ संवाद नहीं था। सच था, मेरा और आपका। आज उसी संवाद को कलकत्ता में हुए रेप केस से जोड़ कर वापस लिख रहा हूँ, और उम्मीद करूँगा के एक दिन हम शून्य जैसे ना बैठे हो! उस दिन हम वाक़ई आज़ाद हो जाएँगे।
क्या फ़र्क़ पड़ता है ? आज कलकत्ता में हुआ है कल कहीं और होगा । दो दिन ग़ुस्सा रहेगा , शायद कुछ लोग को बुरा भी लगे। ट्विटर फ़ेस्बुक पर अपने अपने हिस्से की समवेदना ज़ाहिर कर लेंगे वो भी हैश्टैग के साथ । कुछ समवेदना राजनीतिक होंगी और कुछ शायद तब जागें जब किसी अपने के साथ कुछ हो जाए । चाहे कुछ भी हो , फ़र्क़ कुछ ख़ास नहीं पड़ेगा , दरसल फ़ेसबुकिया ज़िंदगी में हमारे अहसास किसी शून्य से हो गए हैं , शून्य समझते हैं ना ?। मीडिया वो दिखाएगा जिससे टीआरपी बटोरी जा सके , सूट बूट पहने टीवी ऐंकर आपको कहानी के अलग अलग पहलू तो बताएँगे मगर सच क्या होगा उसका पता नहीं । आपके और हमारे पास भी ऐसी कई चीज़ हैं जो इन सब से ज़रूरी हैं , समय कम है ना , ऐसे लड़कियों के बलात्कार की खबर सुन कर कान बंद कर लेना ही अच्छा है , ठीक करते हैं आप लोग , जब सुनेंगे ही नहीं तब समवेदना को फ़र्क़ क्या पड़ेगा । सिर्फ़ वही सुनिए जिससे आपको मसाला मिले और टीवी चनेलों को टीआरपी । चलिए क्या फ़र्क़ पड़ता है , कल कुछ और होगा परसों कुछ और , इतना सोचेंगे तो समवेदना जाग जाएगी उसको सोने ही देते हैं । बस एक सवाल हैं अगर मन करे तो सोचिएगा नहीं तो कोई बात नहीं , दूसरों के दुःख पर दुःखी होना भूल गए हैं क्या ? क्या आपकी गिनती इंसानों में अभी भी होती है , या आप भी भक्षक बन चुके हैं । | Posted on 15/Aug/2024 13:39:12
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