Happy 2nd month pyari Nandani कब बसिहौं ब्रज कुंजन माहीं । ह्वै मृग वन मुगनैंनी ढूँढत, फिरौं कदम्बन छाहीं ॥ [1] पीछे लगि नित रहौं किशोरी, छिन सँग छाँड़त नाहीं । ‘भोरी’ जब कर फेरि विलोकौ, शिव अज लखि ललचाहीं ॥ [2] – श्री भोरी सखी, प्रेम की पीर (143) हे प्यारी जू ! मुझे ब्रज की कुंज निकुंजों में निवास करने का सुयोग कब मिलेगा ? ऐसा कब होगा कि मैं हिरण बनकर हिरण जैसे नेत्रों वाली आपको श्रीवन में निरन्तर कदम्ब वृक्षों से गुज़र कर ढूँढ़ती रहूँगी। [1] हे किशोरी जू! मैं सदैव आपके पीछे ही लगी रहूँगी और आपका साथ एक क्षण के लिये भी नहीं छोडूंगी। श्रीहित भोरीसखी जी कहती हैं कि जब आप अपना हाथ मेरे सिर पर फेरते हुए मुझे प्रेम भरी दृष्टि से देखोगी तब उसे देखकर ब्रह्मा शिव आदि भी लालच से भर जायेंगे। [2]
Happy 2nd month pyari Nandani कब बसिहौं ब्रज कुंजन माहीं । ह्वै मृग वन मुगनैंनी ढूँढत, फिरौं कदम्बन छाहीं ॥ [1] पीछे लगि नित रहौं किशोरी, छिन सँग छाँड़त नाहीं । ‘भोरी’ जब कर फेरि विलोकौ, शिव अज लखि ललचाहीं ॥ [2] – श्री भोरी सखी, प्रेम की पीर (143) हे प्यारी जू ! मुझे ब्रज की कुंज निकुंजों में निवास करने का सुयोग कब मिलेगा ? ऐसा कब होगा कि मैं हिरण बनकर हिरण जैसे नेत्रों वाली आपको श्रीवन में निरन्तर कदम्ब वृक्षों से गुज़र कर ढूँढ़ती रहूँगी। [1] हे किशोरी जू! मैं सदैव आपके पीछे ही लगी रहूँगी और आपका साथ एक क्षण के लिये भी नहीं छोडूंगी। श्रीहित भोरीसखी जी कहती हैं कि जब आप अपना हाथ मेरे सिर पर फेरते हुए मुझे प्रेम भरी दृष्टि से देखोगी तब उसे देखकर ब्रह्मा शिव आदि भी लालच से भर जायेंगे। [2]
Baccha mera pareshan ho gaya 😂teej celebrate krne main 😂 Teej ki subhkamnaye
विरचिताभयं वृष्णिधुर्य ते चरणमीयुषां संसृतेर्भयात् । करसरोरुहं कान्त कामदं शिरसि धेहि नः श्रीकरग्रहम् ॥५॥ हे यदुवंश शिरोमणि ! तुम अपने प्रेमियों की अभिलाषा पूर्ण करने वालों में सबसे आगे हो । जो लोग जन्म-मृत्यु रूप संसार के चक्कर से डरकर तुम्हारे चरणों की शरण ग्रहण करते हैं, उन्हें तुम्हारे कर कमल अपनी छत्र छाया में लेकर अभय कर देते हैं । हे हमारे प्रियतम ! सबकी लालसा-अभिलाषाओ को पूर्ण करने वाला वही करकमल, जिससे तुमने लक्ष्मीजी का हाथ पकड़ा है, हमारे सिर पर रख दो।
Is saal ka birthday mera sabse best birthday tha q ki is saal mere sath mere putra kunj or meri sakhi Nandani mere sath the ❤️ mere sakha nand ke kripa se aaj yaha tk pohchi hu main
क्या इतने बड़े हो गये ये कि लक्ष्मीपति एसे प्रदर्शित कर सके 😠क्या छवि बना दी संकीर्तन की 🥲🥺
Mehandi lag gai lado ko 😍balihar meri pyariju 🥰
Mehandi lag gai lado ko 😍balihar meri pyariju 🥰
Bhagavad Gita: Chapter 3, Verse 28 तत्त्ववित्तु महाबाहो गुणकर्मविभागयोः। गुणा गुणेषु वर्तन्त इति मत्वा न सज्जते हे महाबाहु अर्जुन! तत्त्वज्ञानी आत्मा की पहचान गुणों और कर्मों से भिन्न करते हैं वे समझते हैं कि ‘इन्द्रिय, मन, आदि के रूप में केवल गुण ही हैं जो इन्द्रिय विषयों, (गुणेषु) में संचालित होते हैं और इसलिए वे उनमें नहीं फंसते। ‘जो अहंकार से मोहित होकर भूल से स्वयं को शरीर मान लेते हैं और स्वयं को कर्ता समझने लगते हैं।’ इस श्लोक में तत्त्ववित्तु या सत्यदर्शियों के संबंध में व्याख्या की गयी है। जिसका तात्पर्य यह है कि वे अहंकार को त्याग कर शारीरिक चेतना से मुक्त हो जाते हैं और जड़ शरीर से अपनी आध्यात्मिक पहचान का भेद जानने में समर्थ हो जाते हैं। इसलिए वे अपने लौकिक कर्मों के लिए स्वयं को कर्ता मानने के छलावे में नहीं आते और अपेक्षाकृत सभी क्रियाओं को तीन गुणों का लक्षण मानते हैं।
Bhagavad Gita: Chapter 3, Verse 27 प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः । अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते जीवात्मा देह के मिथ्या ज्ञान के कारण स्वयं को अपने सभी कर्मों का कर्ता समझती है।यद्यपि विश्व के सभी कार्य प्रकृति के तीन गुणों के अन्तर्गत सम्पन्न होते हैं प्रकृति अर्थात माया शक्ति ही संसार में होने वाले सभी कार्यकलापों की कर्ता है। तब फिर आत्मा स्वयं को कर्मों का कर्ता क्यों समझती है। इसका कारण यह है कि मिथ्या अभिमान के बोध से आत्मा भ्रम के कारण स्वयं को शरीर समझ लेती है। इसलिए उसे कर्ता होने का भ्रम हो जाता है।
Bhagavad Gita: Chapter 3, Verse 31 ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः। श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽपि कर्मभिः जो मनुष्य अगाध श्रद्धा के साथ मेरे इन उपदेशों का अनुपालन करते हैं और दोष दृष्टि से परे रहते हैं, वे कर्म के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। कर्म करने का आह्वान करते हुए श्रीकृष्ण अब भगवद्गीता के उपदेशों के महत्व को श्रद्धापूर्वक स्वीकार करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संदेश देते हैं। मानव के रूप में हमारा दायित्व है कि हम सत्य को जानें और तदानुसार अपने जीवन को सुधारे। ऐसा करने से हमारे मानसिक सन्ताप, काम, लोभ, ईर्ष्या, मोह आदि शान्त हो जाते हैं।
Bhagavad Gita: Chapter 3, Verse 30 मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा । निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः अपने समस्त कर्मों को मुझको अर्पित करके और परमात्मा के रूप में निरन्तर मेरा ध्यान करते हुए कामना और स्वार्थ से रहित होकर अपने मानसिक दुखों को त्याग कर युद्ध करो। ‘अध्यात्मचेतसा’ चेतना शब्द का अर्थ ‘भगवान को समर्पित करने की भावना के साथ’ तथा ‘संन्यस्या’ शब्द का अर्थ ‘जो भगवान को समर्पित न हो उन सबका परित्याग करना’ है। ‘निराशीनि’ शब्द का तात्पर्य कर्मों के फलों में आसक्ति न रखने से है। स्वामित्व के दावे को त्यागने के लिए सभी कर्मों को भगवान के प्रति समर्पित करने की चेतना से युक्त होना और अपने निजी लाभ, लालसा और शोक का त्याग करना आवश्यक है।
श्री ब्रह्म-संहिता 5.37 आनंद-चिन्मय-रस-प्रतिभाविताभिस ताभिर या एव निज-रूपतया कलाभिः गोलोक एव निवसत्य अखिलात्म-भूतो गोविंदम आदि-पुरुषम तम अहं भजामि मैं आदि भगवान गोविंद की पूजा करती हूं, जो राधा के साथ अपने लोक, गोलोक में रहते हैं, जो उनकी अपनी आध्यात्मिक छवि के समान हैं, जो उनके विश्वासपात्रों [सखियों] की संगति में, चौसठ कलात्मक गतिविधियों से युक्त परमानंद शक्ति के अवतार हैं। उनके शारीरिक रूप के विस्तार के अवतार, उनके परम आनंदमय आध्यात्मिक रस से व्याप्त और जीवंत।
New poshak pyari Nandani ke liye Thanks @madhvagopika_creation02 for beautiful poshak
Bhagavad Gita: Chapter 3, Verse 29 प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः सज्जन्ते गुणकर्मसु । तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत् ॥ मनुष्य जो प्रकृति के गुणों के प्रभाव से मोहित होकर फल प्राप्ति की कामना के साथ अपने कर्म करते हैं लेकिन बुद्धिमान पुरुष जो इस परम सत्य को जानते हैं, उन्हें ऐसे अज्ञानी लोगों को विचलित नहीं करना चाहिए जिनका ज्ञान अल्प होता है। श्रीकृष्ण इस श्लोक में इसे स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि वे माया अर्थात प्राकृत शक्ति के तीन गुणों से मोहित होकर स्वयं को कर्ता मान लेते हैं। प्राकृत शक्ति के तीन गुणों से मुग्ध होकर वे कामुकता और मानसिक आनन्द की प्रप्ति में समर्थ होने के लिए सुविवेचित प्रयोजन के लिए कार्य करते हैं। वे फल की इच्छा के बिना कर्तव्य पालन करने की दृष्टि से कार्य करने में असमर्थ होते हैं।
Radha Raman lalju 🥹❤️
Summer poshak 📦 from @madhvagopika_creation02
Happy krishna consciousness birthday 🎂 mera bhai 🥰 Love u ❤️♥️🌼
Safar ♥️ Going Back to godhead
Happy birthday 🎂 sakha 🦚💙 thanks for always being there with me ❤️ ache bure samay main hamesha aapne mera sath diya he💙