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निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
निय्यत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के ब’अद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं जी जलाता हूँ और सोचता हूँ राएगाँ ये हुनर न जाए कहीं आओ कुछ देर रो ही लें ‘नासिर’ फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं – नासिर काज़मी Portrait of – @pranutan ✨🤍
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